उत्सव |
तिथि |
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जन्माष्टमी पर्व पर फूल बंगला सजावट |
सोमवार एवं मंगलवार 14-15 अगस्त 2019 |
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अक्षय तृतीया, भगवान श्री राधा गोविन्द जी के चरण दर्शन |
मंगलवार 24 अप्रैल |
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शिवरात्रि पर्व कावंड जला अभिषेक |
मंगलवार जुलाई |
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श्री कृष्ण जनमाष्टमी, फूल बंगला भगवान श्री कृष्ण की झांकी एवं |
शुक्रवार अगस्त |
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प्रथम भारतीय स्वतन्त्रता संग्राम दिवस स्वतन्त्रता सेनानियों द्वारा सम्मेलन |
गुरूवार 10 मई |
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श्रावण मास के सोमवारो को भगवान शंकर की दिव्य झांकियों के दर्शन |
सोमवार 9, 16, 23, 30 जुलाई |
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शिवरात्रि पर्व कावंड जला अभिषेक |
मंगलवार 17 जुलाई |
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हरियाली तीजो, हिण्डोला दर्शन, श्रावण शुक्ल पक्ष तृतिया |
रविवार 22 जुलाई
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श्री कृष्ण जनमाष्टमी, फूल बंगला भगवान श्री कृष्ण की झांकी एवं |
रात्रि 11 : 24 मिनट पर |
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भगवान का विशेष अभिषेक, भाद्र पद कृष्ण पक्ष सप्तमी |
गुरूवार 09 अगस्त |
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श्री कृष्ण जन्मोत्सव, फूल बंगला, भगवान कृष्ण की झांकी, भाद्र पद कृष्ण पक्ष अष्टमी |
शुक्रवार 10 अगस्त 12 : 06 मि0 पर
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श्री राधाष्टमी, विशेष झांकी भाद्रपद शुक्ल पक्ष अष्टमी |
रविवार 23 सितम्बर |
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अन्नकूट उत्सव, विशेष झांकी व 56 भोग के दर्शन व प्रसाद वितरण |
बुधवार 14 नवम्बर |
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महा शिवरात्रि, भगवान शंकर विशेष झांकी व जलांर्पण उत्सव, फाल्गुन कृष्ण पक्ष चतुर्दशी |
रविवार 10 मार्च |
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नोट : |
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1. मन्दिर में नृत्य राज भोग लगता तथा विशेष अवसरो पर 56 भोग की भी व्यावस्था है यह सेवा भक्तो के सौजन्य से मन्दिर समिति द्वारा होती है।
2. ग्रीष्म ऋतु मे भगवान श्री राधा गोविन्द जी की सेवा में फूल बंगले सजाये जाते है ये सेवा भक्तो के सौजन्य से मन्दिर समिति द्वारा होती है।
3. मन्दिर मे समय समय पर देश के महान संतो, उपदेश को, कथावाचको द्वारा प्रवचन, भजन-संध्या एवं रास लीला आदि का कार्यक्रम होता रहता है।
4. मन्दिर नृत्य प्राप्त व सायं सत्संग होता है।
5. मन्दिर एक धार्मिक पुस्तकालय है जिसमें पुस्तके घर ले जाने की भी व्यवस्था है।
6. मन्दिर प्रवेश द्वार दोपहर 1:00 से 3:00 बजे तक बन्द रहता है।
महामंत्री सतीश सिंघल
विशेष :जो जन श्रीगणेशजी, श्रीविष्णुजी नवजयणुजी, श्री सूर्य नारायण, श्री दुर्गा जी सभी पंच देवो के उपासक है जो स्मृति पुराण इत्यादि को मानते हो, उन्हे स्मार्त कहते है एवं जिन्हौने श्री रामानुज, श्री निम्बार्क, श्री वल्लभ, श्री मध्व आदि वै-ुनवजयणव आचार्यो के किसी भी सम्प्रदाय के धर्म गुरू से वैष्णव मंत्र कि दीक्षा ले रखी तथा दिक्षानुसार ही पूजा आदि करते हो उन्हे वैष्णव कहते है।
स्मार्तो का पहले वाली एकादशी व जन्माष्यटमी व्रत ही करना चाहिये व वैष्णवो को दूसरी वाली एकादशी व जन्माष्यटमी व्रत करने चाहिए । |
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सेवांए : |
1. राज भोग - 250- / |
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2. छप्पन भोग - 30,000 ( 50 व्यक्ति ), 40,000 (100 व्यक्ति ), 50,000 ( 150 व्यक्ति ) |
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3. आरती राधागोविन्द मन्दिर -250- / |
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4. फूल बंगला -11000@-/ |
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5. तिथि पत्र -5- / प्रति ( कम से कम 1000 प्रतिलिपि ) |
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6. प्रसाद सेवा उत्सवों पर - श्री कृष्ण जन्माष्टमी पर्व / राधाष्टमी पर्वो पर |
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7. वार्षिक उत्सव होली पर - प्रसाद |
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8. कथा आयोजन - जो व्यक्ति कथा कराने के इच्छुक हो सम्पर्क कर सकते है।
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